पैसा रे पैसा,
तूने इन्सान को बना दिया कैसा ?
आज पैसा ही सबका दाता है,
पैसे से ही सबका नाता है || १ ||
पैसा ही सबका पिता है,
पैसा ही सबकी माता है |
आज पैसा कमाने के लिए,
हर कोई रात रातभर जागता है |
जिसने जिसने जनम लिया इस धरती पर,
हर वो पैसे के पीछे भागता है || २ ||
आज पैसा ही सबके रिश्ते है,
पैसेसे ही सबके नाते है |
पैसा नही जिसके पास,
उसे उसके अपने भी छोड जाते है || ३ ||
जनम से लेकर मौत तक,
पैसे के ही लिए है जागना और सोना |
पैसे पर ही निर्भर है जिंदगी सबकी,
पैसे के लिए है जिंदगी भर का रोना || ४ ||
पैसा सबकी जान है,
पैसेसे ही आज इन्सान की पहचान है |
पैसे की किसे जरुरत नही,
पैसा सबके लिए भगवान है || ५ ||
मीठा जहर है ये पैसा,
सबपर छा गया नशा जैसा |
पैसा रे पैसा,
तूने इन्सान को बनादिया भिकारी जैसा || ६ ||
अजीतसिंघ जाठ.
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