राष्ट्रीय एकता

National Integration

खुद प्रस्तोने लगाई अपने देशमे आग |
एकता सेही बुझ सकती है ये जो लगी है आग || धु ||

सुभाष के नरोने जोश हमको दिलाया है |
आझादी को हम सबने मिलकेही पाया है ||
देखके हमारी विरता अंग्रेज गये है भाग || १ || एकता सेही बुझ—

खाये हुवे है धोका एक बार हम किसीसे |
टकरायेंगा जोकोई मिट जायेगा हमीसे ||
देश के अपने प्राण वोरोने किया है त्याग || २ || एकता सेही बुझ—

किस्मत ने हमारे जब ये दिन दिखाया है |
इमान पडोसीका हर पल डगमगाया है ||
जज्बात हमारे देखो अबभी रहे है जाग || ३ || एकता सेही बुझ—

हर कोई चल रहा है सतरंजकी देखो चाल |
यारो जामानेका अब बदल चुका है “खयाल” ||
लाखोंके उजड रहे है इस धरती पे सुहाग || ४ || एकता सेही बुझ—

 

एकनाथ उर्फ़ खयाल चिंतले
मो : +९१ ८४८५००५५४८

चेहरे दिखावे के

चेहरे दिखावे के

ऐ दिल ना बन इतना सेंटी,
क्योंकी लोगोकी नही कोई गॅरंटी |
मुस्कूराकर पहचान बनाकर चले आते है,
अगले ही दिन मगर उनके चेहरे बदल जाते है || १ ||

हर किसीको अपना समझने की,
गलती कभी नहीं करना |
वर्णा पछतावेकी अंगार में,
खुदही होगा जलना || २ ||

एक चेहरा दिखाकर चलते है लोग,
और एक चेहरा छुपाकर |
दुश्मनी करते है यहाँ लोग,
दोस्ती का मुखौटा लगाकर || ३ ||

अजीतसिंघ जाठ.
मो : +९१ ८१४९३१७१११