चेहरे दिखावे के

चेहरे दिखावे के

ऐ दिल ना बन इतना सेंटी,
क्योंकी लोगोकी नही कोई गॅरंटी |
मुस्कूराकर पहचान बनाकर चले आते है,
अगले ही दिन मगर उनके चेहरे बदल जाते है || १ ||

हर किसीको अपना समझने की,
गलती कभी नहीं करना |
वर्णा पछतावेकी अंगार में,
खुदही होगा जलना || २ ||

एक चेहरा दिखाकर चलते है लोग,
और एक चेहरा छुपाकर |
दुश्मनी करते है यहाँ लोग,
दोस्ती का मुखौटा लगाकर || ३ ||

अजीतसिंघ जाठ.
मो : +९१ ८१४९३१७१११